कल
मैं एक फर्द हूँ सफ़र का..
मैं एक फर्द हूँ सफ़र का..
खोकर बहुत कुछ,
कुछ तो पा लेता हूँ…
दर्द की बहती धुन में,
मन के मीत के गीत गुनगुना लेता हूँ…
साँसों के एहसान तले सफ़र तो थमेगा नहीं,
यही सोच हर कदम को मुकाम बना लेता हूँ…
धूल फांकती बैचैन सी ज़िन्दगी में
पानी की बरसती बूंदों से भीनी खुशबू बना लेता हूँ…
वक़्त बेवक़्त की गुस्ताखियों की आजमाइश अगर हो ज़्यादा,
महफ़िल ऐ शाम में कुछ छलकते जाम लगा लेता हूँ…
हर सुबह दे देती है मुझे,
खुशियों का भर के झोला,
शाम होते होते फिर गम भर लाता हूँ…
मैं एक फर्द हूँ सफर का…
पा कर बहुत कुछ,
कुछ तो खो देता हूँ।
to isme tera kya harz hai
वादे मेरे,
इरादे मेरे,
बदला तू, तो इसमें तेरा क्या हर्ज है
टूट गयी किस्मत,
बिखर गया इंतज़ार,
जो लुट गया मेरा शहर,
तो इसमें तेरा क्या हर्ज है
Vaade mere, Irade mere…. Badla tu, to isme tera kya harz hai
Toot gayi kismat, bikhar gaya intzar….
Jo lut gya mera shahar, to isme tera kya harz hai
Khaab
क्यूँ झाड़ू पलकों से इन्हें
ये ख्वाब हैं धूल नहीं
बह जाए एक सैलाब में ये
अब आँसुओं में भी इतना ज़ोर नहीं…
Mizaz ae Dil
मिज़ाज़ ऐ दिल बदलने लगा है
बात बारिश की ही तो है
कुछ बूंदें बेक़रार हैं
इन आँखों की दहलीज़ लांघने को….
वक़्त
तक़दीर पे बस नहीं
#4
#3
किन लम्हों को भूलूं किन्हे याद रखूं ये सोचता हूं अक्सर,
गर कुछ लम्हों ने सब कुछ दिया तो कुछ ने सब ले भी लिया…..